तब ही हम कह पाएंगे हम सही मायने में कहां विकसित है तब ही हम कह पाएंगे हम सही मायने में कहां विकसित है
किसी का सच बताना किसी को अब वास्तविक नहीं लगता कठपुतली। किसी का सच बताना किसी को अब वास्तविक नहीं लगता कठपुतली।
ऐसा कोई इस दुनिया में हो ही नहीं सकता कोई इतना अच्छा इतना परफेक्ट, ऐसा कोई इस दुनिया में हो ही नहीं सकता कोई इतना अच्छा इतना परफेक्ट,
बस ऐसे ही चल रही है कलयुग की दुनिया मतलब में। बस ऐसे ही चल रही है कलयुग की दुनिया मतलब में।
अपने भाई से लड़ जाते हैं हैं ना कितनी मतलबी दुनिया। अपने भाई से लड़ जाते हैं हैं ना कितनी मतलबी दुनिया।
हम भी तो इसी में रहते है, मानना चाहो तो मानो जबरदस्ती नहीं। हम भी तो इसी में रहते है, मानना चाहो तो मानो जबरदस्ती नहीं।